Considerations To Know About Shiv Chalisa

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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्।

कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

लिङ्गाष्टकम्

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

अर्थ- हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए shiv chalisa lyrics in hindi and english इच्छित वर॥

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